दीवाली वेब कहानी: रोशनी की वापसी"

 "दीवाली :


रोशनी की वापसी" 


एक छोटे से गांव में एक बड़े परिवार का नाम राजपुरा था। राजपुरा के सभी सदस्य एक-दूसरे के साथ प्यार और भरोसे के साथ रहते थे। इस परिवार में एक बड़े बेटे का नाम विजय और छोटे बेटी का नाम मीना था। विजय अधिक पढ़ा लिखा होने के कारण बड़े शहर में अच्छी नौकरी करने के लिए गया था, जबकि मीना गांव में ही रहती थी और स्कूल जाने का अधिकारी थी।


दीवाली के दिन, विजय अपने घर वापस गया, जिससे पूरे परिवार में बड़ी खुशियां थीं। घर की सजावट देखकर विजय का मन आनंद से भर गया। मीना ने दीवारों पर दीपकों से सजावट की थी, जो घर को रौंगते भर देते थे। परिवार के सभी सदस्य ने मिलकर दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया।


शाम को, जब सभी दीपक जलाने जा रहे थे, एक अचानक आघात ने घर की विद्युत रूपी रोशनी को चुराया। सभी उलझन में थे क्योंकि उन्हें यह नहीं पता था कि अब कैसे त्योहार मनाया जाए। विजय और मीना ने तत्काल काम किया और सारे घर की रौशनी की वापसी के लिए योजना बनाई।


विजय ने सभी सदस्यों को एक-दूसरे का हाथ पकड़कर एक वृद्ध विद्युत बैटरी के साथ बैठा दिया और आराम से कहा, "इस बैटरी को इतनी विद्युत भर लो कि हमारी पूरे घर में रौशनी हो जाए।"


सभी ने मिलकर वृद्ध बैटरी को विद्युत से भर दिया और तत्काल घर के हर दीपक को जलाना शुरू किया। विजय के इस समझदार आविष्कार से घर का त्योहार रौंगतेभरा हुआ और सभी ने खुशियां मनाई। दीवाली की रात उन्हें अपने जीवन का सबसे यादगार और रोशन त्योहार मिला।


इस दीवाली के त्योहार ने राजपुरा परिवार के सदस्यों के बीच एक सबसे अनमोल और प्रिय यादें बना दीं और उन्हें विश्वास कराया कि अच्छी योजना, साथीभाव, और अच्छी संगठना से हम चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और खुशियां प्राप्त कर सकते हैं।

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